साहित्य और कला का आज़ादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वीर सावरकर, भगतसिंह, सुभाष चन्द्र बोस, चंद्र शेखर आजाद को सदा स्मरण करना चाहिए। युवाओं को अपना नायक इन्हें ही मानना चाहिए। ये बात संस्कृत विवि की पूर्व कुलपति डा. सुधा रानी पांडे ने मंगलवार को एमकेपी में आयोजित राष्ट्रीय कला महोत्सव में कही।
इस दौरान डा. पांडे ने जेके सीसीए जम्मू कश्मीर कके निदेशक और एबीवीपी के प्रांत संगठन मंत्री प्रदीप शेखावत के साथ उत्तराखंड एक समग्र चिंतन पुस्तक का लोकार्पण भी किया। इस दौरान शेखावत ने कहा कि कला के माध्यम से युवाओं में राष्ट्र प्रेम का जागरण सम्भव है,कला प्रदर्शनी से अपनी संस्कृति को जानने का अवसर भी मिलता है। आज़ादी के अमृत महोत्सव में भारत का गौरवशाली इतिहास हम जाने इसके लिए अभाविप रचनात्मक कार्यक्रम करती रहती है। पुस्तक की संपादक व परिषद की प्रदेश अध्यक्ष डॉ ममता सिंह ने कहा कि इस पुस्तक में उत्तराखंड के समृद्ध वैभवशाली इतिहास, सुरम्य वातावरण और संस्कृति पर आधारित शोध पत्रों को शामिल किया गया है और प्रति वर्ष एक पुस्तक उत्तराखंड पर आधारित प्रकाशित करने की योजना है। प्राचार्या डॉ रेखा खरे ने विद्यार्थी परिषद के शिक्षा और समाज के लिए किये गये कार्यों की सराहना करते हुए निरंतर ऐसे कला उत्सवों के आयोजन को आवश्यक बताया। कार्यक्रम के दौरान जब आज़ादी के समय गाये जाने वाले गीत बजे तो सभागार में उत्साह का संचार हो उठा और भारत माता की जय, वंदे मातरम् के नारे गूंजने लगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका मोहन ने किया। जबकि इस दौरान केएस गिल, धर्मेन्द्र शर्मा,डॉ पुनीत सैनी, डॉ मोनिका भटनागर, भवानी सिंह,अंशु मोहन शर्मा, डॉ आरती सिसौदिया,नागेंद्र बिष्ट , रिषभ रावत, सागर तोमर,विशाल सिंह, किरन कठायत, मनोरमा रावत, सृष्टि सेमल्टी, डॉ शालिनी उनियाल तरुण सिंह, ज्योत्सना शर्मा और डॉ तूलिका चंद्रा सहित कई लोग मौजूद रहे।
आजादी के आंदोलन में साहित्स-कला का अहम योगदान-डा. पांडे
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