न्यायिक कनिष्ठ सहायक भर्ती परीक्षा में धांधली की बात लगभग 20 दिन पहले ही सामने आ चुकी थी। दो कनिष्ठ सहायकों की गिरफ्तारी के बाद इसकी आशंका जताई गई थी। बताया जा रहा है कि उन्होंने और उनके अन्य साथियों ने भी नकल कर विभिन्न न्यायालयों में तैनाती पा ली थी।आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा की जांच शुरू होने के बाद कई खुलासे हुए हैं। इस परीक्षा में नकल कराने वाले एक नहीं बल्कि कई गिरोह का पता चला है। हर गिरोह की अपनी कहानी है। इसमें कड़ियां इस तरह जुड़ीं कि कई भर्तियों पर सवाल उठने लगे। करीब 20 दिन पहले नैनीताल और रामनगर कोर्ट के दो कनिष्ठ सहायकों को गिरफ्तार किया गया था। इन्होंने अभिषेक वर्मा और जयजीत से प्रश्नपत्र खरीदे थे। उसे 15 से 20 लाख रुपये में एक-एक अभ्यर्थियों को बेचा था। सूत्रों के मुताबिक, जब उनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि जो नौकरी दोनों कर रहे हैं, उसकी भर्ती परीक्षा में भी नकल हुई थी। बताया जा रहा है कि आरोपियों ने अपने कई साथियों के बारे में जानकारी भी दी है। इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि इस तरह के कई लोग प्रदेश के कई न्यायालयों में तैनात हैं।
सूत्र तो यहां तक दावा करते हैं कि इनमें से कई लोगों की तो अर्हता तक नहीं थी। फिर भी उन्होंने नौकरी हासिल कर ली। अब इस भर्ती परीक्षा की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। संभावना जताई जा रही है कि इसकी जब परतें खुलेंगी तो कई लोग बेनकाब होंगे। कई लोगों को नौकरी से हाथ भी धोना पड़ सकता है। हालांकि, शुरुआती स्तर पर एसटीएफ के अधिकारियों ने इस मामले में कुछ बोलने से इनकार किया है।
देहरादून में भी बनाए गए थे सेंटर
कनिष्ठ सहायक परीक्षा में देहरादून मुख्य केंद्र था। इसके लिए देहरादून में नकल का सेंटर बनाया गया था। सूत्रों के मुताबिक, इसमें भी हाकम सिंह का ही हाथ है। हाकम सिंह के गुर्गों ने ही अभ्यर्थियों को इकट्ठा किया था। जांच के बाद इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि, कितने लोगों को नकल कराई गई थी, इसकी जानकारी फिलहाल नहीं मिल पा रही है।
कई जिलों की कोर्ट में तैनात हैं नकल करने वाले कनिष्ठ सहायक
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