उत्तराखंड का शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है। राज्य की कुल आबादी के 36.24 लोग शहरों में रहते हैं। जबकि राज्य गठन के समय यह आंकड़ा 21.72 था। उत्तराखंड जिस तेजी से शहरीकरण बढ़ रहा है, निकायों में उस हिसाब से सुविधाएं जुटाने की तैयारी नहीं है।
राज्य बनते वक्त 21.72 प्रतिशत थी शहरी आबादी : आर्थिक सर्वेक्षण की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड गठन के समय 21.72 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करती थी। शहरीकरण में असली तेजी पिछले एक दशक में देखने को मिली है। अब प्रदेश में शहरी आबादी 36.24 प्रतिशत हो गई है। नई जनगणना के बाद शहरी आबादी 40 प्रतिशत के पार पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार बीते दस साल में उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से 17.10 लाख लोगों का पलायन शहरों की तरफ हुआ है। अलग राज्य बनते समय प्रदेश में कुल 63 निकाय थे। यह अब बढ़कर 102 हो गए हैं। हालांकि, जनसंख्या के अनुपात में निकाय तो बढ़े हैं। लेकिन शहरी सुविधाएं सभी लोगों तक पहुंचाना अब भी चुनौती है।
हिमाचल से तिगुना शहरीकरण : पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में 2011 की जनगणना के अनुसार शहरी आबादी सिर्फ 10.3 प्रतिशत थी। उत्तराखंड में 2011 में शहरी आबादी का प्रतिशत 26.55 प्रतिशत था। एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल के मुताबिक, उत्तराखंड में शहरीकरण हिमाचल की अपेक्षा तीन गुना ज्यादा है। उत्तराखंड के साथ बने छत्तीसगढ़, झारखंड भी शहरीकरण के मामले में पीछे हैं।
शहरीकरण की रफ्तार के आगे उत्तराखंड में गांव सिकुड़े, आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े
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