Tuesday, February 11, 2025
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हेलीकॉप्टरों के पर कतरने लिए जल्द बनेगा तंत्र, उड़नखटोलों की उड़ानों पर होगी रियल टाइम निगहबानी

पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील माने जाने वाली केदार और मंदाकिनी घाटी में उड़नखटोलों की उड़ानों पर रियल टाइम निगहबानी के लिए एक प्रभावी तंत्र बनाने की तैयारी है। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) ने इस दिशा में गंभीरता से प्रयास शुरू कर दिए हैं।
इस बारे में नागर विमान महानिदेशालय (डीजीसीए) से भी मार्गदर्शन मांगा गया है। साथ ही केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की उड़ानों और उनकी पार्किंग पर निगरानी तंत्र के लिए प्रस्तावित टेंडर में बदलाव किए जा रहे हैं। दरअसल, चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टरों के तय मानक से कम ऊंचाई पर उड़ान भरने को लेकर हर बार विवाद होता है। ताजा विवाद केदारनाथ वन प्रभाग के दुगलबिट्टा, चोपता और तुंगनाथ सेंचुरी एरिया में एक हेलीकॉप्टर के तय मानक से कम ऊंचाई पर उड़ान से जुड़ा है। इस मामले में गोपेश्वर के डीएफओ ने अज्ञात हेली कंपनी व पायलट के खिलाफ पत्र जारी किए हैं और यूकाडा से भी शिकायत की है। लेकिन परेशानी यह है कि यूकाडा यह कैसे पता लगाए कि किस कंपनी के हेलीकॉप्टर ने मानकों की अनदेखी की।
निगहबानी के लिए कोई ठोस और प्रभावी तंत्र नहीं
इसकी मुख्य वजह यह है कि केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे हेलीकॉप्टरों पर निगहबानी के लिए कोई ठोस और प्रभावी तंत्र नहीं है। हालांकि यूकाडा की ओर से प्रत्येक हेली कंपनी के लिए मानकों के अनुरूप एक रोस्टर बनाया गया। लेकिन सरकार या यूकाडा सिरसी, गुप्तकाशी, मैखंडा, फाटा से उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टरों के बारे में सूचनाओं के लिए हेली कंपनियों पर ही निर्भर है कि उन्होंने कितने चक्कर काटे, कितनी देर हॉल्ट किया और कितनी ऊंचाई पर उड़ान भरी। यही वजह है कि अब यूकाडा एक निगहबानी तंत्र बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए एक टेंडर प्रक्रिया चल रही है। सरकार आने वाले दिनों में एक ऐसी तकनीक या तंत्र चाह रही है जिससे हेलीकॉप्टरों की उड़ानों की संख्या और पार्किंग के साथ उनकी उड़ान की ऊंचाई की रियलटाइम जानकारी भी उपलब्ध हो सके।
46 दिनों में 14 हजार से अधिक चक्कर
केदारघाटी में कितने हेलीकॉप्टर उड़ान भरेंगे, इसके लिए डीजीसीए ने मानक तय किए हैं। कितने हेलीकॉप्टर पार्क होने चाहिए, इसे हमें तकनीकी रूप से मॉनिटरिंग करना होता है। इस बारे में डीजीसीए से मार्गदर्शन मांगा गया है। मार्गदर्शन प्राप्त होने के बाद विशेष तकनीक का इस्तेमाल कर रियलटाइम में हेलीकॉप्टर का एल्टीट्यूड भी जान सकेंगे। – सी. रविशंकर, निदेशक, यूकाडा

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