(पिथौरागढ़)। नेपाल से लगे तल्लाबगड़ क्षेत्र के कई गांवों में चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं है। द्वालीसेरा, घिंघरानी, डौड़ा आदि गांवों के लोग चिकित्सा के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तीतरी या फिर आयुर्वेदिक अस्पताल पीपली पर निर्भर हैं। क्षेत्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों के न होने से अधिकतर मामलों में मरीजों को जिला अस्पताल जाना पड़ता है।
द्वालीसेरा, घिंघरानी, डौड़ा, चकद्वारी आदि गांव काली नदी किनारे बसे हैं। यह गांव स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात, संचार सहित हर क्षेत्र में पिछड़े हैं। सबसे अधिक समस्या स्वास्थ्य सुविधा की है। इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एक अस्पताल तीतरी में तो एक पीपली में है। इन स्वास्थ्य केंद्रों में सीमित सुविधाएं उपलब्ध होने के कारण खून की जांच से लेकर हर तरह की जांच के लिए मरीजों को जिला मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है। घाटी वाला क्षेत्र होने से गर्मियों में बीमारियों का सबसे अधिक प्रकोप इन्हीं गांवों में होता है। गर्मी के सीजन में सर्पदंश की घटनाएं भी होती हैं। नेपाल से भी कई मरीज यहां आते हैं। प्रसव की कोई सुविधा न होने से क्षेत्र की सभी गर्भवती महिलाओं को 50 से 70 किमी दूर जिला महिला अस्पताल ले जाना पड़ता है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. जगत सिंह कठायत ने क्षेत्र में अस्पताल खोलने के लिए सीएमओ के माध्यम से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन भेजा है। उनका कहना है कि द्वालीसेरा क्षेत्र में एक अस्पताल का होना जरूरी है। भारत-नेपाल के बीच झूला पुल बनने से यहां पर नेपाल से भी आवागमन बढ़ा है। अस्पताल खुलने से जहां क्षेत्रवासियों को उपचार की सुविधा मिल सकेगी वहीं पलायन भी रुकेगा।
तल्लाबगड़ क्षेत्र के कई गांवों में स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं
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