चर्चित पूर्व डीएफओ और डिप्टी डायरेक्टर किशनंचद, तत्कालीन वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह, तत्कालीन वन क्षेत्राधिकारी धीर सिंह वन गुर्जरों की बस्ती में हुए विकास कार्यों में नौ करोड़ के घपले में फंस गए हैं। जांच में पुष्टि पर मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन ने तीनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल को पत्र भेजा है
मामला राजाजी टाइगर रिजर्व के अधीन आने वाली वन गुर्जर यूनिट (बस्ती) गैंडीखाता और पथरी यूनिट का है। यहां गुर्जर पुनर्वास योजना के तहत 9 करोड़ 48 लाख 50 लाख हजार की राशि जारी की गई थी। इसे ईको विकास समिति के खाते में ट्रांसफर करने के बाद राशि को लाभार्थियों के खातों में भेजा जाना था। लेकिन तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर किशनचंद की ओर से पैसा तत्कालीन वन क्षेत्राधिकारी गुर्जर पुनर्वास धीर सिंह को भेज दिया गया। लाभार्थियों को भी नकद भुगतान किया गया। निर्माण कार्या में भी किसी प्रकार के नवीन डिजाइन का उल्लेख नहीं मिला।
मुख्य वन संरक्षक ने खुद की थी जांच
डेढ़ साल पहले इसकी शिकायत प्रमुख वन संरक्षक और शासन से की गई थी। मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को जांच अधिकारी नामित किया गया था। उन्होंने खुद मामले की जांच की।