तीन बार उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का भार लादने के बाद अब उत्तराखंड पावर कारपोरेशन भविष्य की जरूरतों के लिए एक और महंगी बिजली खरीदने जा रहा है। 100 मेगावाट बिजली खरीद के पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) का प्रस्ताव यूपीसीएल ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेजा है। देश में कोयला की किल्लत के बीच बिजली की कमी यूपीसीएल पर भी भारी साबित हुई। यूपीसीएल ने मजबूरी में बाजार से महंगी बिजली खरीदी थी, जिसकी भरपाई के लिए नियामक आयोग ने यूपीसीएल को सरचार्ज वसूली की अनुमति दी थी। अब भविष्य की जरूरतों के हिसाब से यूपीसीएल ने एनटीपीसी ट्रेडिंग से 100 मेगावाट बिजली खरीद का मिड टर्म प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा है।
इसके तहत यूपीसीएल दिसंबर 2022 से मार्च 2024 तक बिजली खरीद का पीपीए करना चाहता है। इस एग्रीमेंट से यूपीसीएल को लगातार 100 मेगावाट बिजली 5.49 रुपये प्रति यूनिट की दर पर मिलेगी। नियामक आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, यूपीसीएल ने एनटीपीसी में बिडिंग की थी, जिस पर यह रेट मिला है। हालांकि वर्तमान में बाजार में बिजली चार से 4.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध है। अब नियामक आयोग को इस पर फैसला लेना है।
बिजली उत्पादन घटा, बाजार से रोजाना 12 एमयू तक खरीद
प्रदेश में सर्दियों की आहट के साथ ही जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली का उत्पादन कम होने लगा है। यूपीसीएल को एक बार फिर बाजार की बिजली पर उपलब्ध होना पड़ रहा है। हालत यह हैं कि प्रदेश में इस समय 36 से 37 मिलियन यूनिट की डिमांड के मुकाबले 24 से 25 मिलियन यूनिट बिजली केंद्रीय व राज्य पूल से उपलब्ध हो पा रही है। बरसात के बाद केंद्र व राज्य से मिलने वाली बिजली की उपलब्धता 35 मिलियन यूनिट तक पहुंच जाती है। सेंट्रल सेक्टर के ज्यादातर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट उत्तर भारत में होने के कारण यहां बिजली उत्पादन कम हुआ है तो यूजेवीएनएल का उत्पादन भी घट गया है। फिलहाल, यूपीसीएस रोजाना 10 से 12 मिलियन यूनिट बिजली बाजार से खरीद रहा है।
महंगी हुई बिजली, फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट की दरें बढ़ी
प्रदेश में सभी उपभोक्ताओं (बीपीएल को छोड़कर) के लिए बिजली फिर महंगी हो गई है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट (एफसीए) की दरें जारी कर दी हैं। आयोग ने एक अक्तूबर से 31 दिसंबर के लिए एफसीए की दरें घोषित की हैं, जिनमें घरेलू उपभोक्ताओं से 10 पैसे, सरकारी संस्थानों से 14, कॉमर्शियल से 15 पैसे, प्राइवेट ट्यूबवेल से पांच पैसे, कृषि गतिविधियों से छह पैसे प्रति यूनिट अतिरिक्त वसूली की जाएगी। वहीं, एलटी उद्योगों से 14 पैसे, एचटी उद्योगों से 14 पैसे वसूला जाएगा। यह जुलाई-सितंबर के बीच के एफसीए से सात पैसे अधिक है। बता दें कि, उपभोक्ताओं के लिए इससे पहले अप्रैल में नई बिजली दरें आयोग ने लागू की थी, हाल ही में यूपीसीएल की पुनर्विचार याचिका पर भी दरें बढ़ाई थीं।
तीन बार उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का भार लादा, अब फिर UPCL की है ये तैयारी
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