उत्तराखंड सरकार ने सेब उत्पादक किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उनकी फसल को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए अहम फैसला लिया है। प्रदेश में सेब के कोल्ड स्टोरेज (शीतगृह) की स्थापना पर सरकार अधिकतम चार करोड़ रुपये तक का अनुदान देगी। वहीं सहकारी संस्थानों को इस योजना के तहत पांच करोड़ 60 लाख रुपये तक की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
सरकार का उद्देश्य सेब की तुड़ाई के बाद उसके भंडारण, गुणवत्ता संरक्षण और समय पर परिवहन की व्यवस्था को सुदृढ़ करना है। इसके लिए राज्य में रोपवे निर्माण की भी योजना तैयार की गई है, जिससे दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों से सेब को कम समय में मंडियों तक पहुंचाया जा सकेगा। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने की संभावना बढ़ेगी।
उत्तराखंड की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियां सेब उत्पादन के लिए अनुकूल मानी जाती हैं। राज्य के उत्तरकाशी, देहरादून के चकराता, चमोली, टिहरी, अल्मोड़ा और नैनीताल जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर सेब की खेती की जाती है। हालांकि, भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने और परिवहन में देरी के कारण किसानों को अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है।
कई बार मजबूरी में किसानों को सेब बेहद कम दामों पर बेचना पड़ता है। परिवहन में देरी से सेब की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिसका सीधा असर बाजार मूल्य पर पड़ता है। इन समस्याओं को देखते हुए सरकार ने सेब की तुड़ाई के बाद उसके समुचित प्रबंधन के लिए यह योजना लागू करने का निर्णय लिया है।
सरकार का मानना है कि कोल्ड स्टोरेज और रोपवे जैसी आधुनिक सुविधाओं के विस्तार से न केवल किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी, बल्कि उत्तराखंड के सेब को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर पहचान भी मिलेगी। साथ ही इससे ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।