बागेश्वर। मैग्नेेसाइट कंपनी झिरौली की ओर से विस्थापित किए गए परिवारों को अब तक उनकी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला है। स्वामित्व नहीं मिलने से ग्रामीण अपनी जमीन का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों ने एसडीएम को ज्ञापन देकर शासन स्तर से जल्द समस्या का निदान करवाने की मांग की है। झिरौली में अल्मोड़ा मैग्नेसाइट कंपनी की स्थापना के समय कंपनी की ओर से झिरौली, मटेला, बिलौरी, खाइना तोक, बसखोला आदि गांवों के 175 ग्रामीणों की भूमि लेकर उन्हें सितारगंज में 175 एकड़ जमीन दी थी। उस समय ग्रामीणों को जमीन का पट्टा दिया गया था लेकिन जमीन का मालिकाना हक नहीं मिला। 50 साल से ग्रामीण जमीन का मालिकाना हक मांग रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि मालिकाना हक नहीं होने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। बच्चों के प्रमाणपत्र बनवाने में दिक्कत आ रही है। ग्रामीण उस जमीन पर घर भी नहीं बनवा पा रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि लंबे समय से वह अपनी जमीन का स्वामित्व मांग रहे हैं, अगर जल्द उनकी समस्या का निदान नहीं किया गया तो उन्हें आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। वहां पर ग्राम प्रधान ललित रौतेला, सामाजिक कार्यकर्ता रवि करायत, मनोज तिवारी, देवेंद्र रौतेला, भूपाल सिंह, गोपाल सिंह, चंचल सिंह, जगदीश प्रसाद, प्रदीप कुमार आदि थे।
सितारगंज में आवंटित जमीन का कब मिलेगा मालिकाना हक
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