खुलासा: कफ सिरप की काली कमाई झारखंड में खनन में निवेश की तैयारी, मंत्री से बनी थी सीधी पहुंच
लखनऊ। यूपी में नशीली कफ सिरप तस्करी के विशाल नेटवर्क पर चल रही जांच से नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। ताजा जानकारी के अनुसार, इस सिंडीकेट ने तस्करी से होने वाली अरबों की काली कमाई को झारखंड में बड़े स्तर पर खनन ठेके में निवेश करने की योजना बनाई थी। इस साजिश में झारखंड सरकार के एक मंत्री तक की सीधी पहुंच बन चुकी थी, जिसने गिरोह को खनन का बड़ा काम दिलाने का भरोसा दिया था।
खनन सौदे के लिए जुटाई जा रही थी करोड़ों की सिक्योरिटी मनी
जांच एजेंसियों के अनुसार, गिरोह के प्रमुख शुभम जायसवाल के जिम्मे करोड़ों रुपये की सिक्योरिटी मनी जुटाने का काम था, जो खनन का ठेका लेने के लिए जरूरी थी। पूर्वांचल के बाहुबलियों व अपराधियों के नेटवर्क के सहारे शुभम ने राजनीतिक पहुंच बनाई और इसी रास्ते से झारखंड के मंत्री तक पहुंच संभव हुई।
गिरोह को उम्मीद थी कि तस्करी की कमाई को खनन में लगाकर लाभ कई गुना बढ़ाया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि शुभम को एमएलसी बनाने का आश्वासन तक दिया गया था। एक बड़े नेता से मिलवाने के बाद उसे लैंड क्रूजर कार भी भेंट की गई थी।
पूर्व नौकरशाह और पूर्व सांसद की भूमिका पर प्रश्नचिह्न
सूत्रों का कहना है कि शुभम, अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह को दुबई ले जाने वाले विकास सिंह विक्की को एक पूर्व ब्यूरोक्रेट ने ब्लॉक प्रमुख बनाने का भरोसा दिया था।
वहीं बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी अमित सिंह को ब्लॉक प्रमुख चुनाव लड़ने में समर्थन दे रहे थे। प्रचार के दौरान वह अमित को ‘छोटा भाई’ कहते थे, जिससे उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
फर्जी फर्में बनी अब तक की सबसे बड़ी चूक
तस्करी को अंजाम देने के लिए तीनों आरोपियों ने कई फर्जी फर्में बनाईं थीं, जिनके दस्तावेज अब उनके लिए मुसीबत का कारण बन चुके हैं। एसटीएफ और ईडी इन फर्जी कंपनियों के रिकॉर्ड, बैंक लेनदेन और दस्तावेज खंगाल रही हैं।
पूर्वांचल के कई जिलों के बाहुबलियों के साथ मिलकर इन्होंने कफ सिरप तस्करी का बड़ा सिंडीकेट खड़ा किया था। अब एजेंसियों की कार्रवाई से बाहुबलियों की दिक्कतें भी बढ़ने वाली हैं। ईडी इनके करोड़ों की लग्जरी गाड़ियों के असली मालिकों का पता लगा रही है।
एसटीएफ से बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह का सुल्तानपुर रोड स्थित 10 हजार वर्ग फीट का 20 करोड़ का आलीशान घर देखकर अधिकारी भी दंग रह गए।
जानलेवा हमले के केस में लग चुकी है अंतिम रिपोर्ट
हजरतगंज थाने में बजीरगंज निवासी सैय्यद अली मोहम्मद जाफरी द्वारा दर्ज जानलेवा हमले की एफआईआर में आलोक और पूर्व सांसद धनंजय पर शक जताया गया था। लेकिन हमलावरों की गिरफ्तारी न होने के चलते 7 फरवरी 2021 को पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी।
तीन दिनों में 16 फर्मों के 30 खाते फ्रीज
जौनपुर में एसआईटी की टीमें छह जिलों में छापेमारी कर रही हैं। 45.06 करोड़ के अवैध धंधे से जुड़े 18 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। तीन दिनों में 16 फर्म संचालकों के 30 बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं।
शुभम के पिता भोला 14 दिन की रिमांड पर, CA की तलाश शुरू
कोलकाता से गिरफ्तार गिरोह सरगना शुभम के पिता भोला प्रसाद को कोर्ट ने 14 दिन की रिमांड पर भेजा है। पूछताछ में उसने बताया कि वाराणसी के चार्टर्ड अकाउंटेंट विष्णु अग्रवाल ही सिंडीकेट का पूरा वित्तीय संचालन करता था।
पुलिस अब सीए विष्णु की तलाश में जुट गई है और उसके संपर्कों की जांच कर रही है। भोला ने स्वीकार किया कि उसने कई वित्तीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए, लेकिन खुद को निर्दोष बताया।
यूपी के अपराध जगत में “एसटीएफ” नाम से कुख्यात है आलोक सिंह
धनंजय सिंह के करीबी आलोक प्रताप सिंह को पूर्वांचल और पश्चिम यूपी में ‘एसटीएफ’ नाम से जाना जाता है। यूपी पुलिस की नौकरी के दौरान अपराध व कानूनी पेचीदगियों को समझने के बाद उसने रियल एस्टेट, रेलवे ठेकों और खनन में दखल बढ़ाया।
चंदौली के कैथी निवासी आलोक ने बाद में जौनपुर का निवासी बनकर हथियार लाइसेंस बनवाया और युवाओं की बड़ी फौज तैयार की।
कफ सिरप तस्करी का करोड़ों का अवैध कारोबार
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बरेली की एक्सट्रीम हेल्थ सॉल्यूशन समेत कई स्टॉकिस्टों ने कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध बिक्री से करोड़ों कमाए।
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गोरखपुर और महराजगंज के 25 तस्कर एजेंसियों के रडार पर हैं।
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गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित आरएस फार्मा के मालिक सौरभ त्यागी ने 12.55 करोड़ की सिरप खरीद की, जिसे हिमाचल, यूपी, दिल्ली, हरियाणा और बांग्लादेश तक सप्लाई किया जाता था।