उत्तराखंड में सांसद-विधायकों पर 10 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें ऊधम सिंह नगर जिले के दो माननीयों पर दंगे के साथ ही अन्य गंभीर धाराओं के पांच दर्ज केस न्यायालय में विचाराधीन हैं, जबकि गढ़वाल के आधा दर्जन जिलों में माननीयों पर पांच मुकदमे दर्ज हैं। सरकार इन मुकदमों की पूरी डिटेल जुटाकर हाई कोर्ट में जवाब दाखिल करने की तैयारी में जुटी है। नैनीताल हाई कोर्ट ने प्रदेश में सांसद-विधायकों पर कितने मुकदमे दर्ज हैं, कितने विचाराधीन हैं, इसकी जानकारी तीन मार्च तक देने का सरकार को आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को निर्देश दिए थे कि सांसद विधायकों पर दर्ज व विचाराधीन मामलों मामलों का तेजी से निस्तारण कराएं। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार राज्य सरकार आइपीसी की धारा-321 का गलत उपयोग कर अपने सांसद-विधायकों के मुकदमे वापस ले रही हैं, जबकि राज्य सरकार बिना उच्च न्यायालय की अनुमति के केस वापस नहीं ले सकती। माननीयों पर दर्ज मुकदमों के निस्तारण के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन करने के आदेश भी राज्यों को दिए गए हैं।
सरकार ने दी यह जानकारी
सरकार की ओर से हाई कोर्ट को दी गई प्रारंभिक जानकारी में बताया गया है कि ऊधम सिंह नगर जिले में दो माननीयों पर गंभीर धाराओं के पांच मुकदमे विचाराधीन हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी जिले के माननीयों पर दो, देहरादून, हरिद्वार, टिहरी गढ़वाल में एक-एक मुकदमा विचाराधीन हैं। उप शासकीय अधिवक्ता जेएस विर्क ने फिलहाल दस मुकदमों की जानकारी होने तथा पूरा विवरण शासन से मांगे जाने की पुष्टिï की है। बताया कि पूर्ण विवरण मिलने के बाद ही उसे हलफनामे के साथ हाई कोर्ट में दाखिल किया जाएगा।
सीआरपीसी में सरकार के पास है शक्ति
हाई कोर्ट के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता कहते हैं, सीआरपीसी की धारा-321 के तहत राज्य सरकार को मुकदमा वापस लेने की शक्ति है, लेकिन अदालत की अनुमति लेना जरूरी है। इस धारा में यह साफ नहीं किया गया है कि जो मुकदमा वापस लिया जा सकता है, वह किस प्रवृत्ति का है।
उत्तराखंड के माननीयों पर दर्ज हैं गंभीर अपराधों के 10 मुकदमे, शासन ने हाईकोर्ट में दिया जिलेवार विवरण
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