चौखुटिया (अल्मोड़ा)। चौखुटिया में सिर्फ दो नहरो सिंचाई दायीं व बायीं में पांच करोड़ खर्च होने के बावजूद नहरों की दशा में खास सुधार नहीं हो पाया है। हालत यह है कि किसान खेतों को पर्याप्त पानी न मिलने से आए दिन परेशान रहते हैं। इससे आक्रोशित प्रधान और किसान सिंचाई नहरों की मरम्मत के नाम पर हुई खर्च राशि की जांच की मांग के लिए मुखर होने लगे हैं। इसको लेकर डीएम को ज्ञापन भी भेजा गया है। प्रधानों ने उक्त दो नहरों के साथ ही क्षेत्र की सभी 29 नहरों में पिछले पांच सालों में हुए कार्यों की जांच की मांग की है। रानीखेत उपमंडल में सबसे अधिक सिंचाई वाली चौखुटिया घाटी में सिंचाई नहरों की दुर्दशा के चलते किसानों को समय पर पानी नहीं मिल पाता है। लोग आए दिन सिंचाई नहरों के लिए बजट जारी कर नहरों की मरम्मत की मांग करते रहे हैं। जब से किसानों को यह जानकारी मिली है कि ब्लॉक की महज दो नहरों सिंचाई दांयी व बायीं में ही कुल पांच करोड़ खर्च कर चुका है तो लोगों के पांव तले जमीन खिसक गई है। किसानों का कहना है कि जब नहरों की दशा में कोई सुधार ही नहीं हुआ है तो फिर करोड़ों की राशि कहां खर्च की गई। किसानों का कहना है कि जब महज दो नहरों में ही पांच करोड़ का खर्च दिखाया गया है तो फिर ब्लाक की सभी उन्नीस नहरों की क्या स्थिति होगी इसका स्वत: अंदाज लगाया जा सकता है। विगत दिनों भैल्टगांव, हाट, झलां आदि के कृषकों ने यह मामला डीएम के सामने भी उठाया। डीएम के निर्देश पर अधिकारियों ने दायीं नहर के हैड का निरीक्षण तो किया लेकिन इससे आगे कुछ नहीं हो पाया है। इधर भैल्टगांव के प्रधान गिरीश चंद्र सहित कई पंचायत प्रतिनिधियों ने डीएम को फिर लिखे पत्र में नहरों में हुए खर्च की जांच की मांग करने के साथ ही नहरों की मरम्मत कर पानी सुचारु रूप से चलाने की मांग की है।
पानी की तरह बहा पैसा
चौखुटिया (अल्मोड़ा)। सिंचाई विभाग नहरों में तो पानी नहीं बहा पाया लेकिन नहरों की मरम्मत के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा दिया गया। सिंचाई दांयी नहर में पड़ने वाले छानी व कोट्यूडा के बीच कुछ ऐसे स्थानों पर भी नहर की मरम्मत की गई है जहां पिछले पंद्रह सालों से पानी पहुंचा ही नहीं है। कहीं नहर झाड़ियों के बीच नजर नही आ रही है तो कहीं पत्थर और मलबे से पूरी तरह से बंद पड़ी है। नहर की दशा पूरी कहानी को खुदबखुद बयां कर रही है।
ये भी हैं शिकायतें
चौखुटिया (अल्मोड़ा)। दांयी नहर में बिना टेंडर के काम कराने, जो ठेकेदार कभी मौके पर नजर नहीं आए उनके नाम भुगतान दिखाने, ठेकेदारों की मजबूरी का लाभ उठाकर उनसे मनमाने ढंग से कार्य कराकर इसका काम उसके नाम जैसी भी शिकायतें हैं। सिंचाई दांयी नहर में नाबार्ड के माध्यम से दो करोड़ की राशि मिली थी। इसमें से पच्चीस लाख जीएसटी में कट गए। पिचहत्तर लाख में दो पंप बनाए गए जिसमें से झांझर पंप की मरम्मत कर नई मशीन आदि लगाई गई। दूसरा पंप भैल्टगांव में निर्माणाधीन है। शेष बचे एक करोड़ में से अस्सी लाख नहर की मरम्मत में खर्च हो गए हैं जबकि बीस लाख रुपये शेष हैं जहां तक बायीं नहर का सवाल है। उसके लिए तीन करोड़ रुपये का बजट मिला था जो खर्च हो चुका है। बिना टेंडर के कार्य कराने, इसका काम उसके नाम करने व मनमाने ढंग से भुगतान करने जैसी बातें गलत हैं। कार्य गुपचुप नहीं खुले टेंडर से करवाए गए हैं। – आरसी पांडे, तत्कालीन एई सिंचाई विभाग