दिगंबर जैन धर्म के दस लक्षण पर्व में आठवां दिन उत्तम त्याग धर्म के रूप में मनाया गया। सभी जैन मंदिरों में प्रातः जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक शांति धारा की गई। उत्तम त्याग धर्म पर प्रवचन में क्षुल्लक समर्पण सागर महाराज ने बताया कि संसार में कोई भी व्यक्ति तब तक सुखी नहीं हो सकता, जब तक उसको किसी भी चीज आकुलता है और आकुलता तब तक नष्ट नहीं हो सकती। जब तक उसके पास कुछ भी परिग्रह है। इसलिए परम सुखी होने के त्याग की आवश्यकता होती है। त्याग किसका? परिग्रह का त्याग। पूर्ण परिग्रह का त्याग ही दिगम्बर मुनि चर्या का आधार है। दिगम्बर मुनिराज किसी भी बाह्य वस्तु का आलंबन नहीं लेते, सुई बराबर भी परिग्रह उनके साथ नहीं होता है, इसलिए वह नग्न होते हैं। दस लक्षण महापर्व के अवसर पर समाज द्वारा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी श्रंखला में जैन मिलन माजरा द्वारा लघु नाटिका नियम का फल का मंचन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ महावीर प्रार्थना से हुआ जिसमें महिलाओं ने सुंदर प्रार्थना की। जैन मंदिर सुभाष नगर के बच्चों ने सुंदर भक्ति गीत प्रस्तुत किए। नियम का फल नाटिका जीवन में छोटे-छोटे नियमों से होने वाले प्रभाव का फल बताती है। जिसमें एक राजा जैन मुनि से तीन नियम लेता है। पहला नियम प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर देव दर्शन करना, दूसरा नियम अपने शत्रु का भी सम्मान करना तथा क्रोध आने पर 3 कदम पीछे हटकर विचार करना। राजा इन तीनों नियमों के पालन से अपने ऊपर आने वाले घोर विपदा को टालने में सफल हो जाता है। मुख्य भूमिका में वीर संजीव जैन, अतुल जैन, रमा जैन, दिव्या जैन, प्रदीप जैन, अजय जैन ने निभाई। नाग नागिन की प्रस्तुति शिवानी जैन, सोनल जैन ने दी। राहुल जैन, मीडिया संयोजक गोपाल सिंघल, सुखमाल चंद जैन, जैन समाज के महामंत्री राजेश जैन, राजीव जैन, जैन भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चंद जैन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेश चंद जैन, क्षेत्रीय मंत्री डॉ संजय जैन, डॉ संजीव जैन, जैन भवन अध्यक्ष सुनील जैन, मंत्री संदीप जैन, प्रतीक जैन, उत्सव समिति संयोजक आशीष जैन, अर्जुन जैन, अमित जैन, अजीत जैन, पूर्णिमा, गीतिका, सीमा जैन, रचना जैन, मीता, अंजली, बीना जैन आदि उपस्थित रहे। संचालन जैन मिलन के अध्यक्ष मुकेश जैन, मंत्री अजय कुमार जैन ने किया।
परम सुखी होने के लिए परिग्रह का त्याग जरुरी:जैन मुनि
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