Friday, November 29, 2024
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कागजों में ही बनी है अधिग्रहीत जमीन पर सड़क

रुद्रपुर। नेशनल हाईवे- 74 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत जमीन पर विवाद के चलते निर्माण का कार्य रुका हुआ है लेकिन जिस जगह हाईवे का निर्माण रुका है वह पांच साल पहले राजस्व विभाग के कागजों में बन चुका है। राजस्व विभाग की इसी रिपोर्ट के बाद जमीन पर मुआवजा देने की कार्यवाही हुई थी। अधिग्रहीत जमीन के एक खसरे में पहले पांच संरचनाओं में 1.38 करोड़ का मुआवजा दो इंडस्ट्री मालिकों को दिया जा चुका है और अब फिर से इसी खसरे में दो संरचनाओं को दर्शाकर 19 लाख रुपये का मुआवजा निर्धारित किया गया है। एक मिल मालिक का आरोप है कि गलत तरीके से मुआवजे का वितरण हुआ है और एक खसरे में तीन इंडस्ट्री नहीं हो सकती है। एनएच 74 चौड़ीकरण के लिए ग्राम रंपुरा में खसरा नंबर 48 की 1.0880 हेक्टेयर अधिग्रहीत किया था। जिसके बाद अधिग्रहीत की जद में आ रही जमीन और उसमें स्थित संरचनाओं की एवज में मुआवजा दिया गया था लेकिन मुआवजे को लेकर कानूनी पचड़े में मामला फंसने के चलते जमीन निर्माण नहीं हो सका था। विशेष भूमि अध्यप्ति अधिकारी को नवंबर 2017 में भेजी गई राजस्व विभाग की रिपोर्ट मिली है, जिसमें अधिग्रहीत जमीन पर सड़क निर्माण पूरा करने की तस्दीक की गई है। रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा वितरण करने की बात कही गई है। जिसके बाद मुआवजा वितरण किया गया है। इस रिपोर्ट में सड़क 2017 में बन चुकी है, लेकिन मौके पर अभी भी संरचनाएं जस की तस हैं। इस वजह से हाईवे का काम इस जगह पर अधूरा पड़ा है।
अधिग्रहण की जद में आए सिंघल एग्रो मिल के मालिक घनश्याम दास अग्रवाल कहते हैं कि तत्कालीन अधिकारियों ने मुआवजा वितरण में खेल किया है। उनके मिल की संरचनाएं अधिग्रहण में ली गई थी लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया। जब उन्होंने एनएचआई के उच्च अधिकारियों को मामला बताया तो उसके बाद उनकी संरचनाओं का मुआवजा 19 लाख रुपये निर्धारित किया गया है। कहा कि एक खसरा नंबर पर पूर्व में दो मिलों की संरचनाओं का मुआवजा सवा करोड़ से अधिक दिया जा चुका है। अब उनके संरचना पर भी 19 लाख का मुआवजा निर्धारित है। दावा किया कि एक खसरा नंबर पर तीन इंडस्ट्री की संरचनाएं नहीं हो सकती हैं। कहा कि गलत मुआवजे को लेकर जिला प्रशासन को जांच के लिए शिकायत की थी। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है ताकि शिकायत की जांच में तेजी लाई जा सके।
कोट: एनएचएआई की तरफ से अधिग्रहीत जमीन पर स्थित निर्माण को हटाने के लिए जिला प्रशासन को तीन बार पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन निर्माण नहीं हटाया जा सका है। उनके स्तर से मुआवजे को लेकर कोई अड़चन नहीं है। राजस्व विभाग की ओर से दी गई रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। – अक्षत विश्नोई, प्रोजेक्ट मैनेजर एनएचएआई
कोट: अधिग्रहीत जमीन को लेकर एनएचएआई की ओर से भेजे गए पत्र में निर्धारित मुआवजे के वितरण की कार्यवाही की जाएगी। पूर्व में जो मुआवजा दिया गया है, वो कागजों में दर्ज जमीन मालिकों को दिया गया था। जिस जगह पर मुआवजे को लेकर शिकायतें आई हैं, उसके संबंध में रामपुर चकबंदी, किच्छा चकबंदी, एनएचएआई और राजस्व विभाग रुद्रपुर से रिपोर्ट मांगी गई है। जांच रिपोर्ट मिलने के बद आगे की कार्यवाही होगी। – प्रत्यूष सिंह, विशेष भूमि अध्यप्ति अधिकारी।

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