लखनऊ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और केसी वेणुगोपाल को अदालत से नोटिस जारी किया गया है। यह मामला आरएसएस, भाजपा और भारत के खिलाफ दिए गए कथित बयान से जुड़ा हुआ है। एमपी-एमएलए कोर्ट ने सभी नेताओं को इस प्रकरण में आपत्ति दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करते हुए सुनवाई की तारीख पांच जनवरी तय की है।
एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम आलोक वर्मा ने मामले की सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किए। परिवाद में आरोप लगाया गया है कि राहुल गांधी ने पूरी सोच-समझ और संतुलित मनःस्थिति में यह बयान दिया, जो देश की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ है। इसे राजद्रोह और राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में बताया गया है।
परिवादी नृपेंद्र पांडे ने नौ सितंबर को अदालत में परिवाद दायर किया था। परिवाद के अनुसार, 15 जनवरी को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस के नव-निर्मित मुख्यालय के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि “हम आरएसएस, भाजपा और भारत के खिलाफ लड़ रहे हैं।” परिवादी का कहना है कि इस बयान से स्पष्ट होता है कि राहुल गांधी ने भारत के खिलाफ लड़ने की बात कही, जो गंभीर आपराधिक कृत्य है।
परिवाद में यह भी आरोप लगाया गया है कि राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन से जुड़े अन्य नेता बार-बार झूठे आरोप लगाकर और आपराधिक षड्यंत्र रचकर संवैधानिक संस्थाओं, संवैधानिक पदों पर कार्यरत जिम्मेदार लोगों के प्रति जनता के मन में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। इससे देश में अराजकता और गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा होने की आशंका जताई गई है।
परिवादी ने यह भी दावा किया है कि राहुल गांधी इससे पहले भी कई मामलों में अदालत में माफी मांग चुके हैं और कई प्रकरणों में जमानत पर हैं। इसके बावजूद उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की मौजूदगी में यह कथित देशविरोधी बयान दिया। आरोप है कि सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल ने इस बयान का कोई खंडन नहीं किया, जिससे उनकी मौन सहमति मानी जा रही है।
अब कोर्ट के नोटिस के बाद सभी कांग्रेस नेताओं को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा। पांच जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि मामले में आगे क्या कानूनी कार्रवाई की जाएगी।