उत्तराखंड में मानवाधिकार आयोग के गठन के बाद सात वर्षों की अवधि में मानवाधिकारों के हनन संबंधी 10,736 शिकायतें मिली है। इनमें से 9686 शिकायतों का निपटारा किया गया है जबकि 1050 शिकायतें अभी आयोग में लंबित हैं। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को सूचना अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त हुई है। काशीपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने आयोग से दर्ज व निस्तारित शिकायतों के संबंध में सूचना मांगी थी। आयोग के लोक सूचना अधिकारी ने अतिरिक्त शुल्क जमा कराने के बावजूद आयोग की वार्षिक रिपोर्ट/विशेष रिपोर्ट को सुरक्षा कारणों से गोपनीय बताते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था। इस पर नदीम ने आयोग में द्वितीय अपील की। इस पर साढ़े तीन साल से सरकार के पास दबी मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट मात्र दो माह में कार्यवाही पूर्ण करने के बाद विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत कर दी गई और रिपोर्ट की प्रति नदीम को भी उपलब्ध कराई। विभिन्न बार सूचना मांगने पर उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने 2012 से 2018 तक की अवधि की एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को 20 दिसंबर 2018 को उपलब्ध करा दी। इस रिपोर्ट को विधानसभा के समक्ष रखने की कार्यवाही सूचना आयोग के आदेश के बाद ही की। सूचना आयोग ने देरी के लिए गृह विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए सुधार के लिये चेतावनी जारी करने के आदेश भी दिए हैं।
ऊधमसिंह नगर में 3262 शिकायतें दर्ज
मार्च 2019 तक प्राप्त शिकायतों में अल्मोड़ा जिले से 137, बागेश्वर जिले से 54, चमोली से 134, चंपावत से 200, देहरादून जिले से सर्वाधिक 3291, हरिद्वार जिले से 1819, नैनीताल जिले से 932, पौड़ी से 306, पिथौरागढ़ जिले से 199, रुद्रप्रयाग जिसे से 58, टिहरी जिले से 234, ऊधमसिंह नगर जिले से 3262 और उत्तरकाशी जिले से 110 शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
आरटीआई में खुलासा: उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग में सात सालों में 10,736 शिकायतें दर्ज, 1050 का नहीं हुआ समाधान
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