उत्तराखंड के कुमाऊं की पारंपरिक होली जग विख्यात है। यहां पर होली के माह भर पूर्व से ही होली गायन की परंपरा रही है। बागेश्वर के बागनाथ मंदिर से भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक के साथ ही होली गायन मंदिरों से भी शुरू हो जाता है। इसी क्रम में ताकुला क्षेत्र के सतराली (सात गांव) की होली परंपरा के अनुसार शिवरात्रि को भगवान बागनाथ के धाम पहुंची। मंदिर पर होली गायन किया। सतराली के सात गांवों के लोग भगवान बागनाथ की स्तुति की। अजी हो जी शंभो तुम क्यों न खेले होरी लला बोलों से होली गायन की शुरुआत की। महाशिवरात्रि पर्व पर सतराली के सात गांव थापला, पनेरगांव, लोहाना, खाड़ी, झाड़कोट, कोतवालगांव, कांडे के होल्यार ढोल, मजीरा और अन्य वाद्य यंत्रों के साथ नाचते-गाते मंदिर में पहुंचे। मंदिर की परिक्रमा के बाद होली गायन शुरू हुआ। होल्यारों ने भगवान गणेश की स्तुति करते हुए सिद्धि के दाता विघ्न विनाशक खेलें होरी, अजी हां जी शंभो तुम क्यों न खेले होरी लला, शिव के मन माहि बसे काशी आदि विभिन्न बोलों में होली गायन किया। ढोल, मजीरे की थाप पर हुए होली गायन में नगर के साथ ही आसपास के गांवों के लोगों ने होली में शिरकत की। सतराली के होल्यारों ने बताया कि बागनाथ धाम से होली की शुरुआत होती है। इसके बाद क्षेत्र के मंदिरों में होली गायन शुरू हो जाएगा। एकादशी से गांवों में खड़ी होली होगी। गांवों में घर-घर जाकर होली गायन किया जाएगा। इस दौरान मंदिर समिति के अध्यक्ष नंदन रावल, व्यापार मंडल अध्यक्ष हरीश सोनी आदि मौजूद थे।
सतराली की होली 45 वर्ष तक नहीं आई बागनाथ धाम
सतराली की होली सदियों से भगवान बागनाथ धाम आती रही है। वर्ष 1972 से 2017 तक यानी कि 45 वर्ष तक सतराली की होली भगवान बागनाथ के धाम नहीं आई। इसके पीछे सतराली क्षेत्र के बुजुर्ग कई कारण बताते हैं। लोगों का कहना है कि गांवों में होली के जानकार बुजुर्गों की कमी के कारण होली में व्यवधान आया। होली के बागनाथ धाम न आने के पीछे पलायन समेत कुछ और कारण भी बताए जाते हैं। क्षेत्र के युवाओं ने वर्ष 2018 से एक बार फिर होली बागनाथ धाम से शुरू करने का फैसला लिया। तब से शिवरात्रि को सतराली की होल्यार बागनाथ धाम आ रहे हैं।
बागनाथ धाम से होली गायन शुरू, अब हर मंदिर से होल्यारों को चढ़ेगा परंपरा का रंग
RELATED ARTICLES