दो सप्ताह पहले चुनाव ड्यूटी के लिए मोरी जरमोला से उत्तरकाशी आते समय सड़क दुर्घटना में घायल उद्यान प्रभारी सहायक सुधीर उनियाल की देहरादून के एक अस्पताल में मौत हो गई। इस मामले में सुधीर उनियाल के स्वजन ने सरकारी सिस्टम और देहरादून शहर के एक निजी अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाया है।
दरअसल 15 जनवरी को जरमोला उद्यान के प्रभारी सुधीर उनियाल अपने विभागीय अधिकारियों के निर्देश चुनाव संबंधित कार्य के लिए जमोला से उत्तरकाशी के लिए चले। इसके लिए सुधीर उनियाल ने खलाड़ी के विवेक की बाइक से लिफ्ट ली, लेकिन पुरोला के निकट एक कार से उनकी टक्कर हुई। इसमें सुधीर उनियाल गंभीर रूप से घायल हो गए। कार में सवार व्यक्तियों ने बाइक सवार दोनों युवकों को पुलिस की सहायता से अस्पताल पहुंचाया। गंभीर रूप से घायल सुधीर उनियाल को देहरादून रेफर किया गया। जबकि बाइक चलाने वाला युवक का उपचार पुरोला में ही किया गया। 24 जनवरी को सुधीर उनियाल की उपचार के दौरान देहरादून में मौत हो गयी। सुधीर के पिता रमेश उनियाल ने कहा कि जब वह देहरादून अस्पताल में अपने बेटे को लेकर गए तो अस्पताल प्रशासन ने गोल्डन कार्ड फेंक दिया। बेटे को बचाने के लिए उन्होंने करीब छह लाख रुपये अस्पताल को देने पड़े लेकिन, उसके बाद भी बेटे को नहीं बचा पाए। वहीं शासन की ओर से कोई मुआवजा भी नहीं दिया है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव एवं नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष अतोल सिंह रावत ने कहा कि गोल्डन कार्ड को स्वीकार न करने वाले अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। पुरोला के थानाध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में 17 जनवरी को कार चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
सिस्टम और अस्पताल की व्यवस्थाओं पर उठे सवाल
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