नैनीताल। डाॅ.आरएस टोलिया प्रशासन अकादमी में विशेषज्ञों ने बढ़ते शहरीकरण और अनियोजित विकास से निपटने के लिए मंथन किया। नाजुक पर्वत पारिस्थितिक तंत्र में शहरीकरण और विकास विषय पर आयोजित सम्मेलन में पहले दिन विषय विशेषज्ञों ने अस्थिर पर्वतीय परिस्थितिकी, शहरीकरण की चुनौतियों और सुरक्षित भविष्य को लेकर अपने विचार रखे। दो दिनों तक हुए मंथन के बाद सुझाव शासन को भेजे जाएंगे जिससे भविष्य में इसे नियोजन में शामिल किया जा सके। एटीआई महानिदेशक बीपी पांडे ने कहा कि बढ़ते शहरीकरण के कारण शहरी क्षेत्रों में चुनौतियां बढ़ती जा रही है। शहरी क्षेत्रों के साथ ही इससे लगे क्षेत्र में समय की आवश्यकताओं के अनुरूप ढांचागत सुविधाओं का विकास नियोजन के साथ जरूरी है।
उन्होंने उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्रों में पर्यटकों के बढ़ते दबाव को देखते हुए उसके पर्यावरणीय प्रभाव के अध्ययन की जरूरत बताई। चेयरपर्सन हाई लेवल कमेटी, शहरी मंत्रालय भारत सरकार के केशव वर्मा ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते दबाव के कारण नकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नदियों का संरक्षण सबसे बड़ी चुनौती है। कोरिया, जापान, भूटान और नेपाल से आए विषय विशेषज्ञों ने कहा कि नियोजन व उसके क्रियान्वयन से बेहतर शहरीकरण के साथ ही आपदा के खतरे को कम किया जा सकता है। उन्होंने भूस्खलन को कम करने, स्लोप में हो रहे परिवर्तन का नियमित आकलन और सुरक्षा उपाय आदि की जानकारी दी।
नियोजन से आपदा जोखिम में कमी संभव
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