महानगर की विधानसभाओं में चुनावी समर में उतरे प्रत्याशी और उनके समर्थक चुनावी माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चुनाव जीतने के लिए हर वर्ग के वोटरों को साधने की कोशिश की जा रही है। पहाड़ के पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज भी चुनावी मैदान में सुनाई देने लगी है। कोई ढोल-दमाऊं, रणिसिंघा तो कोई मशकबीन की धुन से पहाड़ी वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ प्रत्याशियों की रैलियों में तो महिलाएं भी ढोल-दमाऊं बजा रही हैं। देहरादून महानगर की पांच विधानसभाओं में पहाड़ी वोटरों का प्रभाव है। इनमें कुछ सीटों पर पहाड़ी वोटर निर्णायक की भूमिका में हैं। पहाड़ी वोटरों पर सभी दलों के प्रत्याशियों के साथ ही निर्दलीयों की भी नजर है। वोटरों को साधने के लिए प्रत्याशी और उनके समर्थक कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पहाड़ी वाद्ययंत्र ढोल-दमाऊं, रणसिंघे और मशकबीन के साथ चुनाव प्रचार पर निकल रहे हैं। वाद्ययंत्रों से चुनावी महौल को गरमा रहे हैं। कहीं ढोल-दमाऊं तो कई रणसिंघा और मशकबीन की धुन पर समर्थक नाच रहे हैं। प्रचार में गढ़वाली और कुमाऊंनी गीतों के माध्यम से भी धार दी जा रही है। प्रत्याशियों ने खुद पर गीत बनवा रखे हैं, जो गली-मोहल्लों में सुनाई दे रहे हैं। राजनीतिक दलों पर बने गीत भी खूब सुनाई दे रहे हैं।
प्रत्याशी ढोल-दमाऊं, रणसिंघा और मशकबीन से बना रहे माहौल, कई रैलियों में महिलाएं भी बजा रहीं पारंपरिक वाद्ययंत्र
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