अल्मोड़ा के सरस्वती शिशु मंदिर दन्या में हुई अभिभावकों की बैठक में बच्चों के बाल काटने के मामले में संबंधित शिक्षक ने खेद जताया है। शिक्षक ने कहा कि छोटे बालों का नमूना प्रदर्शित करने के लिए ही उन्होंने कुछ बच्चों के बाल काटे थे, इसके पीछे कोई द्वेष नहीं है। अभिभावकों ने विद्यालय की छवि खराब करने पर रोष जताया है। शुक्रवार को सरस्वती शिशु मंदिर दन्या में हुई बैठक में अभिभावकों ने बृहस्पतिवार को विद्यालय में कुछ बच्चों के बाल छोटे करने के मामले में अनावश्यक रूप से विद्यालय की छवि खराब करने की निंदा की। बैठक में बच्चों के बाल काटने वाले शिक्षक ने बताया कि बच्चों को बार-बार बाल छोटे करने की हिदायत देने के बाद भी जब वह बाल काट कर नहीं आए तो उन्होंने छोटे बालों का नमूना प्रदर्शित करने के लिए कुछ बच्चों के बाल काट दिए।
शिक्षक ने कहा कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन मेरी भावना द्वेषपूर्ण और बच्चों को अपमानित करने की नहीं थी। यह बात मैने अभिभावकों को फोन पर भी बता दी थी। शिक्षक ने कहा कि यदि बच्चों के बाल काटने से किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो खेद व्यक्त करता हूं। अभिभावकों ने एक मत से विद्यालय के विकास के लिए भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने पर जोर दिया गया। अभिभावकों ने विद्यालय की छवि खराब करने पर रोष जताया। प्रबंधक केशर सिंह चम्याल की अध्यक्षता में हुई बैठक में सतीश पंत, राकेश गुरुरानी, आनंद पांडे, सुरेश जोशी, अंकित पांडे, गुड्डू सिंह, हेमंत, क्षेत्र पंचायत सदस्य महेश पंत, पूर्व प्रधान डीके जोशी, बबीता गुरुरानी, कमला देवी आदि थे। बच्चे बाल बड़े रखकर स्कूल आ रहे थे। शिक्षक ने बच्चों को डेमो देने के लिए ही बाल काटे थे। किसी भी अभिभावक को इस संबंध में कोई आपत्ति नहीं है। – मोहन चंद्र पंत, प्रभारी प्रधानाचार्य सरस्वती शिशु मंदिर
शिक्षक ने कहा- छोटे बालों के नमूने के लिए काटे थे बच्चों के बाल, अभिभावकों को कोई आपत्ति नहीं
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