बदरीनाथ मंदिर के सिंह द्वार पर पड़ रही दरार के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सर्वे शुरू कर दिया है। एएसआई की ओर से विशेष प्रकार के ग्लास टाइल्स लगा कर दरारों की निगरानी की जाएगी। इसके अलावा द्वार के बीच में पानी की रिसाव के कारणों का पता लगाया जाएगा। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने एएसआई के (संरक्षण व वर्ल्ड हेरिटेज) अपर महानिदेशक जान्ह्वीज शर्मा के साथ बैठक कर बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार में पड़ी दरारों को लेकर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने एएसआई से व्यापक अध्ययन कर संरक्षण के लिए ठोस उपायों का आग्रह किया। अपर महानिदेशक ने गत दिवस बदरीनाथ धाम का दौरा किया। बदरीनाथ से वापसी के बाद उन्होंने बीकेटीसी कार्यालय में अध्यक्ष अजेंद्र अजय के साथ सिंहद्वार में आ रही दरारों पर चर्चा की।
शर्मा ने बताया कि बदरीनाथ मंदिर में सिंह द्वार का सर्वे कार्य शुरू कर चुकी है। हल्की दरारों को मोर्टार से भरा गया है। विशेष प्रकार के ग्लास टाइल्स को निगरानी के लिए दरार पर रखा गया है। यह टाइल्स दीवार में किसी प्रकार का हल्का मूवमेंट होने पर चटक जाएंगी। सिंहद्वार के केंद्रीय भाग के पानी रिसाव का भी आंकलन किया जा रहा है। इसके साथ ही नींव से पानी के रिसाव की प्रणाली को समझने का भी प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने मंदिर के सिंहद्वार के जीर्णोद्वार को लेकर भी कई सुझाव दिए। बैठक में केदारनाथ धाम के निकट पवित्र उदक कुंड के पुनरोद्धार के विषय में भी चर्चा की गई। बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने कहा कि स्थानीय तीर्थ पुरोहित समुदाय से परामर्श कर उदक कुंड के स्थान को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके साथ ही पांडुकेश्वर स्थित योग बदरी मंदिर परिसर के विस्तारीकरण व संरक्षण पर भी विचार किया गया। इस मौके पर एएसआई के देहरादून सर्किल के पुरातत्व अधीक्षक मनोज कुमार सक्सेना, बीकेटीसी के अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, एएसआई के अधिकारी आरके मीना, नीरज मैठाणी आदि मौजूद थे।
बदरीनाथ मंदिर के सिंह द्वार पर पड़ रही दरार, अब विशेष प्रकार के ग्लास टाइल्स से होगी निगरानी
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